एलिमनी या गुजारा भत्ता एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान है जो तलाक के बाद पति या पत्नी को आर्थिक सहायता प्रदान करता है. यह एक ऐसी आर्थिक सहायता है जो पूर्व पति या पत्नी को अपने जीवन को व्यवस्थित करने में मदद करती है.
एलिमनी के प्रकार
प्रकार | विवरण |
---|---|
लंप सम एलिमनी | एकमुश्त भुगतान |
मासिक भुगतान | नियमित मासिक आधार पर भुगतान |
एलिमनी पर कर नियम
लंप सम एलिमनी:
- एकमुश्त राशि को कैपिटल रिसीट माना जाता है
- आमतौर पर इस पर कर नहीं लगता
मासिक एलिमनी:
- नियमित आय के रूप में माना जा सकता है
- कर योग्य हो सकता है
एलिमनी राशि निर्धारण के मानदंड
कोर्ट निम्न बातों को ध्यान में रखता है:
- पति की सैलरी
- पति की संपत्ति
- बच्चों की पढ़ाई
- परिवार के खर्च
- बच्चों की अभिरक्षा
विशेष परिस्थितियां
कुछ विशेष मामलों में पत्नी भी पति को एलिमनी दे सकती है, विशेष रूप से जब:
- पति की आय कम हो
- पति बेरोजगार हो
- पत्नी की आय अधिक हो
कानूनी आधार
एलिमनी हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 और अन्य संबंधित कानूनों के तहत निर्धारित की जाती है.
महत्वपूर्ण सावधानियां
- एलिमनी राशि दोनों पक्षों की आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती है
- न्यायालय द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाता है
- कर नियम समय-समय पर बदल सकते हैं
नोट: कर संबंधी विशिष्ट मार्गदर्शन के लिए एक कर विशेषज्ञ से परामर्श लेना सबसे उचित रहता है।