Bihar Jameen Survey Update: बाप-दादा के नाम की जमीन वालों के लिए सरकार ने दी बड़ी राहत।

Bihar Jameen Survey Update: बिहार सरकार ने राज्य में चल रहे भूमि सर्वेक्षण कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। यह बदलाव उन लोगों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जिनकी जमीन अभी भी उनके पूर्वजों के नाम पर दर्ज है। नए नियम के तहत, ऐसे लोगों को अपनी जमीन का स्वामित्व साबित करने के लिए अतिरिक्त समय और सुविधाएं दी गई हैं।

इस नए नियम का मुख्य उद्देश्य भूमि रिकॉर्ड को अपडेट करना और जमीन से जुड़े विवादों को कम करना है। सरकार का मानना है कि इससे न केवल वर्तमान जमीन मालिकों को राहत मिलेगी, बल्कि भविष्य में होने वाले जमीन संबंधी विवादों को भी रोका जा सकेगा। यह कदम बिहार में चल रहे व्यापक भूमि सुधार कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

बिहार भूमि सर्वेक्षण की मुख्य जानकारी

विवरणजानकारी
योजना का नामबिहार विशेष भूमि सर्वेक्षण
शुरुआत की तिथि20 अगस्त 2024
लक्षित क्षेत्रबिहार के सभी 38 जिले
कुल गांवलगभग 45,000
उद्देश्यभूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण और अपडेशन
लाभार्थीसभी भूमि मालिक और किसान
आवेदन प्रक्रियाऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों
समाप्ति की अनुमानित तिथिनवंबर 2025

बिहार भूमि सर्वेक्षण के उद्देश्य

बिहार भूमि सर्वेक्षण के कुछ प्रमुख उद्देश्य हैं:

  • भूमि विवादों को कम करना: सटीक भूमि रिकॉर्ड से विवादों में कमी आएगी।
  • भूमि के मालिकाना हक को सुरक्षित करना: वास्तविक मालिकों के नाम पर जमीन दर्ज होगी।
  • भूमि रिकॉर्ड को अपडेट रखना: पुराने रिकॉर्ड अपडेट किए जाएंगे।
  • डिजिटलीकरण: सभी भूमि रिकॉर्ड डिजिटल फॉर्मेट में उपलब्ध होंगे।
  • पारदर्शिता बढ़ाना: सरकारी भूमि और उसके उपयोग में पारदर्शिता आएगी।

बाप-दादा के नाम की जमीन वालों के लिए नए नियम

सरकार ने उन लोगों के लिए विशेष प्रावधान किए हैं जिनकी जमीन अभी भी उनके पूर्वजों के नाम पर है। इन नए नियमों के तहत:

  1. समय सीमा में वृद्धि: जमीन के दस्तावेज जमा करने की समय सीमा को बढ़ाकर तीन महीने कर दिया गया है।
  2. स्वघोषणा की सुविधा: भूमि मालिक एक स्वघोषणा पत्र (प्रपत्र-2) भर सकते हैं जिसमें वे अपने पूर्वजों की जमीन पर अपना दावा प्रस्तुत कर सकते हैं।
  3. वंशावली प्रमाण: वंशावली प्रपत्र (प्रपत्र-3) भरकर भूमि मालिक अपने पूर्वजों से अपना संबंध साबित कर सकते हैं।
  4. दस्तावेजों में छूट: अगर किसी के पास पुराने दस्तावेज नहीं हैं, तो वे अन्य सहायक प्रमाण जैसे पुरानी रसीदें या स्थानीय गवाहों के बयान भी दे सकते हैं।
  5. ऑनलाइन सुविधा: सभी फॉर्म और दस्तावेज ऑनलाइन जमा किए जा सकते हैं, जिससे लोगों को कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया

बिहार भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में होती है:

  1. नोटिफिकेशन: सर्वेक्षण शुरू होने से पहले स्थानीय प्रशासन द्वारा नोटिस जारी किया जाता है।
  2. फॉर्म भरना: भूमि मालिकों को स्वघोषणा प्रपत्र-2 और वंशावली प्रपत्र-3 भरना होता है।
  3. दस्तावेज जमा: सभी आवश्यक दस्तावेज जैसे जमीन की रसीद, रजिस्ट्री की कॉपी, खाता खतौनी आदि जमा करने होते हैं।
  4. फील्ड सर्वे: सरकारी अमीन द्वारा जमीन का प्रत्यक्ष सर्वेक्षण किया जाता है।
  5. रिकॉर्ड अपडेट: सर्वेक्षण के बाद भूमि रिकॉर्ड को अपडेट किया जाता है।
  6. आपत्तियां: लोग अपडेटेड रिकॉर्ड पर आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं।
  7. अंतिम प्रकाशन: सभी आपत्तियों के निपटारे के बाद अंतिम रिकॉर्ड प्रकाशित किया जाता है।

आवश्यक दस्तावेज

भूमि सर्वेक्षण के लिए निम्नलिखित दस्तावेज आवश्यक हैं:

  • स्वघोषणा का प्रपत्र-2
  • प्रपत्र-3 (i) में वंशावली
  • राजस्व रसीद की छायाप्रति
  • क्रय/बदलैन/दान की भूमि के दस्तावेज (यदि लागू हो)
  • सक्षम न्यायालय का आदेश (यदि कोई हो)
  • बन्दोबस्त भूमि/भू-दान प्रमाण पत्र/वासगीत पर्चा की छायाप्रति
  • आधार कार्ड और वोटर आईडी की प्रति

ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया

बिहार भूमि सर्वेक्षण के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की प्रक्रिया इस प्रकार है:

  1. आधिकारिक वेबसाइट https://dlrs.bihar.gov.in/ पर जाएं।
  2. “बिहार विशेष सर्वेक्षण संबंधित सेवाएं” पर क्लिक करें।
  3. “रैयत द्वारा स्वामित्व/धारित भूमि की स्वघोषणा हेतु प्रपत्र” का चयन करें।
  4. आवश्यक जानकारी भरें और दस्तावेज अपलोड करें।
  5. फॉर्म जमा करें और पावती प्राप्त करें।

ऑफलाइन आवेदन प्रक्रिया

ऑफलाइन आवेदन के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  1. अपने क्षेत्र के सर्वे शिविर में जाएं।
  2. वहां से आवेदन फॉर्म प्राप्त करें।
  3. फॉर्म को सही तरीके से भरें।
  4. सभी आवश्यक दस्तावेज संलग्न करें।
  5. भरा हुआ फॉर्म शिविर में जमा करें।
  6. रसीद प्राप्त करें और सुरक्षित रखें।

बिहार भूमि सर्वेक्षण के लाभ

इस सर्वेक्षण से निम्नलिखित लाभ होने की उम्मीद है:

  1. भूमि विवादों में कमी: सटीक रिकॉर्ड से विवाद कम होंगे।
  2. भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण: सभी रिकॉर्ड डिजिटल रूप में उपलब्ध होंगे।
  3. सरकारी भूमि में पारदर्शिता: सरकारी जमीन का बेहतर प्रबंधन होगा।
  4. किसानों को लाभ: किसानों को अपनी जमीन के कानूनी अधिकार मिलेंगे।
  5. विकास कार्यों में सुविधा: सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में आसानी होगी।

अस्वीकरण (Disclaimer)

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। हालांकि हमने सटीक जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया है, फिर भी सरकारी नीतियों और प्रक्रियाओं में समय-समय पर बदलाव हो सकता है। इसलिए, पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी कार्रवाई करने से पहले आधिकारिक सरकारी स्रोतों से नवीनतम और सटीक जानकारी प्राप्त करें। यह लेख कानूनी या व्यावसायिक सलाह का विकल्प नहीं है। किसी भी त्रुटि या चूक के लिए लेखक या प्रकाशक जिम्मेदार नहीं होंगे।

Author

  • Manish Kumar is a seasoned journalist and the Senior Editor at Mahavtc.in, with over a decade of experience in uncovering stories that matter. A leader both in the newsroom and beyond, he thrives on guiding his team to deliver impactful, thought-provoking content. When he’s not shaping headlines, you can find him sharing his insights on Twitter @humanish95 or connecting via email at [email protected].

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