RBI ने रद्द किए 3 बैंकों के लाइसेंस! जानें कौन-कौन से बैंक बंद हुए और आपके ₹50,000 तक की जमा राशि का क्या होगा?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में कई सहकारी बैंकों के लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया को तेज किया है। यह निर्णय बैंकों की वित्तीय स्थिति में गिरावट के कारण लिया गया है। इस लेख में हम उन तीन प्रमुख बैंकों का विश्लेषण करेंगे जिनका लाइसेंस रद्द किया गया है, उनके कारणों, प्रभावों और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे।

RBI द्वारा रद्द किए गए बैंक

  1. बनारस मर्केंटाइल सहकारी बैंक
  2. पुर्वांचल सहकारी बैंक
  3. शहर सहकारी बैंक, मुंबई

इन बैंकों का लाइसेंस रद्द करने के पीछे मुख्य कारण उनकी वित्तीय स्थिति में गिरावट और पूंजी की कमी है। आइए इन बैंकों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

1. बनारस मर्केंटाइल सहकारी बैंक

बैंक का विवरण:

  • स्थापना वर्ष: 1995
  • स्थान: वाराणसी, उत्तर प्रदेश
  • मुख्य समस्या: वित्तीय स्थिति में गंभीर गिरावट

RBI का निर्णय:
RBI ने 4 जुलाई 2024 को बनारस मर्केंटाइल सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया। RBI ने कहा कि “बैंक की वित्तीय स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि इसे जारी रखना संभव नहीं था” ।

प्रभाव:

  • डिपॉजिटर्स के लिए सुरक्षा: RBI ने यह आश्वासन दिया कि 99.98% डिपॉजिटर्स को उनके जमा राशि का पूरा भुगतान मिलेगा, जो कि ₹5 लाख तक की सीमा से सुरक्षित है ।

2. पुर्वांचल सहकारी बैंक

बैंक का विवरण:

  • स्थापना वर्ष: 2000
  • स्थान: गाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश
  • मुख्य समस्या: पूंजी और आय की कमी

RBI का निर्णय:
जून 2024 में, RBI ने पुर्वांचल सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द किया। यह निर्णय भी उसी कारण से लिया गया था – “अपर्याप्त पूंजी और आय की संभावनाएँ”।

प्रभाव:

  • डिपॉजिटर्स को ₹5 लाख तक की राशि वापस मिलेगी।
  • बैंक के संचालन को बंद करने के लिए एक लिक्विडेटर नियुक्त किया गया है।

3. शहर सहकारी बैंक, मुंबई

बैंक का विवरण:

  • स्थापना वर्ष: 1990
  • स्थान: मुंबई
  • मुख्य समस्या: वित्तीय अस्थिरता

RBI का निर्णय:
जून 2024 में शहर सहकारी बैंक का लाइसेंस भी रद्द कर दिया गया। RBI ने कहा कि “बैंक की मौजूदा स्थिति उसके डिपॉजिटर्स के हित में नहीं थी”।

प्रभाव:

  • डिपॉजिटर्स को उनकी जमा राशि का भुगतान DICGC के माध्यम से किया जाएगा।

RBI द्वारा लाइसेंस रद्द करने के कारण

RBI द्वारा बैंकों के लाइसेंस रद्द करने के पीछे कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  • वित्तीय अस्थिरता: अधिकांश सहकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति खराब हो गई थी, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अपने डिपॉजिटर्स को वापस भुगतान करने में कठिनाई हो रही थी ।
  • अपर्याप्त पूंजी: ये बैंक आवश्यक पूंजी संरचना को बनाए रखने में असमर्थ थे और इसके चलते उनके संचालन जारी रखना संभव नहीं था ।
  • जनहित में निर्णय: RBI ने यह निर्णय जनहित में लिया है ताकि लोगों की जमा राशि सुरक्षित रहे और सार्वजनिक धन की रक्षा हो सके ।

डिपॉजिटर्स के लिए क्या करें?

इन बैंकों के डिपॉजिटर्स को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

  1. DICGC से संपर्क करें: सभी डिपॉजिटर्स को DICGC से संपर्क करना चाहिए ताकि उन्हें उनकी जमा राशि का दावा करने की प्रक्रिया समझ में आ सके।
  2. वित्तीय सलाह लें: किसी भी वित्तीय सलाहकार से संपर्क करें ताकि वे आपको सही दिशा में मार्गदर्शन कर सकें।
  3. वैकल्पिक बैंकों पर विचार करें: भविष्य में निवेश करने के लिए वैकल्पिक बैंकों या वित्तीय संस्थानों पर विचार करें जो स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष

RBI द्वारा सहकारी बैंकों के लाइसेंस रद्द करने का यह कदम भारतीय बैंकिंग प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। यह कदम न केवल डिपॉजिटर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि भारतीय वित्तीय प्रणाली पर विश्वास बनाए रखने में भी मदद करता है।इस प्रकार, यह महत्वपूर्ण है कि सभी डिपॉजिटर्स अपनी जमा राशि की सुरक्षा को सुनिश्चित करें और भविष्य में निवेश करते समय सतर्क रहें।

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  • Shreya is a seasoned finance writer with a keen eye for unraveling complex global financial systems. From government benefits to energy rebates and recruitment trends, she empowers readers with actionable insights and clarity. When she’s not crafting impactful articles, you can find her sharing her expertise on LinkedIn or connecting via email at [email protected]

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