Regularization Benefits For Contract Employees: सरकारी विभागों और संस्थानों में काम करने वाले हजारों आउटसोर्स, संविदा और तदर्थ कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। कई राज्य सरकारों ने इन कर्मचारियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इससे लाखों कर्मचारियों को नौकरी की सुरक्षा और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। यह फैसला न केवल कर्मचारियों के लिए फायदेमंद है, बल्कि सरकारी कामकाज में भी सुधार लाएगा।
इस लेख में हम आउटसोर्स, संविदा और तदर्थ कर्मचारियों के नियमितीकरण के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। हम इस प्रक्रिया के फायदे, चुनौतियां और इससे जुड़े नियम-कानूनों पर भी चर्चा करेंगे। साथ ही यह भी बताएंगे कि अलग-अलग राज्यों में इस संबंध में क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
नियमितीकरण क्या है?
नियमितीकरण का मतलब है अस्थायी या संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों को स्थायी नौकरी देना। इस प्रक्रिया में कर्मचारियों को नियमित सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाता है। इससे उन्हें नौकरी की सुरक्षा के साथ-साथ कई अन्य लाभ भी मिलते हैं।
नियमितीकरण की प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य है:
- कर्मचारियों को नौकरी की सुरक्षा देना
- बेहतर वेतन और सुविधाएं प्रदान करना
- कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाना
- सरकारी कामकाज में सुधार लाना
- श्रम कानूनों का बेहतर पालन सुनिश्चित करना
नियमितीकरण योजना का संक्षिप्त विवरण:
विवरण | जानकारी |
लाभार्थी | आउटसोर्स, संविदा और तदर्थ कर्मचारी |
पात्रता | 5-10 साल की सेवा (राज्य के अनुसार अलग) |
लाभ | नौकरी सुरक्षा, बेहतर वेतन, पेंशन आदि |
लागू होने की तिथि | अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग |
आवेदन प्रक्रिया | संबंधित विभाग द्वारा तय की जाएगी |
दस्तावेज | नियुक्ति पत्र, अनुभव प्रमाण पत्र आदि |
कवर किए गए क्षेत्र | सरकारी विभाग, PSU, स्वायत्त संस्थान |
नियमितीकरण के फायदे
आउटसोर्स और संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण से कई फायदे होंगे:
- नौकरी की सुरक्षा: सबसे बड़ा फायदा यह है कि कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने का डर नहीं रहेगा। वे रिटायरमेंट तक काम कर सकेंगे।
- बेहतर वेतन: नियमित कर्मचारियों को संविदा कर्मचारियों की तुलना में ज्यादा वेतन मिलता है। साथ ही समय-समय पर वेतन वृद्धि भी होती है।
- सामाजिक सुरक्षा: नियमित कर्मचारियों को पेंशन, ग्रेच्युटी, बीमा जैसी सुविधाएं मिलती हैं। इससे उनका भविष्य सुरक्षित होता है।
- छुट्टियां और अन्य लाभ: नियमित कर्मचारियों को वेतन के साथ छुट्टियां, मेडिकल सुविधाएं और अन्य भत्ते भी मिलते हैं।
- करियर में उन्नति: नियमित कर्मचारियों को पदोन्नति और बेहतर पदों पर जाने के अवसर मिलते हैं।
- कर्मचारियों का मनोबल: स्थायी नौकरी मिलने से कर्मचारियों का मनोबल बढ़ता है और वे बेहतर काम करते हैं।
- सरकारी कामकाज में सुधार: अनुभवी कर्मचारियों के नियमित होने से सरकारी कामकाज में सुधार आता है।
नियमितीकरण की प्रक्रिया
नियमितीकरण की प्रक्रिया अलग-अलग राज्यों में थोड़ी अलग हो सकती है। लेकिन आम तौर पर इसमें निम्न चरण शामिल होते हैं:
- सरकार द्वारा नियमितीकरण का निर्णय लिया जाना
- पात्रता मानदंड तय करना (जैसे न्यूनतम सेवा अवधि)
- पात्र कर्मचारियों की सूची तैयार करना
- आवेदन आमंत्रित करना और दस्तावेज जमा करवाना
- आवेदनों की जांच और सत्यापन
- चयनित कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र जारी करना
- नए पद पर कार्यभार ग्रहण करना
विभिन्न राज्यों में नियमितीकरण की स्थिति
कई राज्य सरकारों ने आउटसोर्स और संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है:
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश सरकार ने करीब 40 हजार आउटसोर्स और संविदा कर्मियों को नियमित करने की तैयारी शुरू कर दी है। सरकार ने विभिन्न विभागों से इन कर्मचारियों का आंकड़ा मांगा है। जल्द ही इस संबंध में एक नियमावली जारी की जाएगी।
हरियाणा
हरियाणा सरकार ने लगभग 1.20 लाख संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का फैसला किया है। इसके लिए हरियाणा अनुबंधित कर्मचारी (सेवा सुरक्षा) अध्यादेश, 2024 लाया गया है। इसके तहत:
- 15 अगस्त 2024 तक 5 साल की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारी पात्र होंगे
- कर्मचारियों को नियमित पद के समान वेतनमान मिलेगा
- DA में बढ़ोतरी के साथ वेतन में भी वृद्धि होगी
- सालाना वेतन वृद्धि का प्रावधान होगा
- मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी और स्वास्थ्य लाभ मिलेंगे
कर्नाटक
कर्नाटक में भी संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग उठी है। हालांकि, राज्य सरकार ने अभी तक इस पर कोई ठोस फैसला नहीं लिया है। श्रमिक संगठन CITU ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा है जिसमें नियमितीकरण को रोकने वाले प्रावधान को हटाने की मांग की गई है।
ओडिशा
ओडिशा में आउटसोर्सिंग कर्मचारी संघ ने सरकारी आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के नियमितीकरण और लाभों के विस्तार की मांग की है। संघ ने इस संबंध में सरकार को एक ज्ञापन सौंपा है।
नियमितीकरण से जुड़े कानूनी पहलू
नियमितीकरण की प्रक्रिया में कई कानूनी पहलुओं का ध्यान रखना पड़ता है:
- उमा देवी निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में उमा देवी मामले में दिए गए फैसले में नियमितीकरण के लिए कुछ दिशा-निर्देश तय किए थे:
- संविदा पद को नियमित सरकारी पद के रूप में मंजूरी होनी चाहिए
- संविदा पर भर्ती की प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए
- नियमितीकरण के लिए कम से कम 10 साल की सेवा जरूरी है
- ठेका श्रम कानून: संविदा कर्मचारियों पर ठेका श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970 लागू होता है। इसके तहत:
- स्थायी प्रकृति के कामों में संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की जा सकती
- संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के समान वेतन और सुविधाएं मिलनी चाहिए
- समान काम, समान वेतन: सुप्रीम कोर्ट ने कई फैसलों में कहा है कि समान काम के लिए समान वेतन का सिद्धांत लागू होना चाहिए।
- राज्य सरकारों के नियम: हर राज्य के अपने नियम हैं जो संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति और सेवा शर्तों को नियंत्रित करते हैं।
Disclaimer
यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। हालांकि इसमें दी गई जानकारी विश्वसनीय स्रोतों से ली गई है, फिर भी यह पूरी तरह से सटीक या अद्यतन नहीं हो सकती है। नियमितीकरण की प्रक्रिया और नियम अलग-अलग राज्यों में भिन्न हो सकते हैं। इसलिए किसी भी कार्रवाई से पहले संबंधित सरकारी विभाग या कानूनी सलाहकार से परामर्श लेना उचित रहेगा।
Which state related this order?
15 saal ho gye hain NHM mai kaam karte karte Modi ji hum logo save future dijiye.
Thankyou
Sir mai 11 sal se uper NIPER HAJIPUR ME KAAM KIYA HU REGULAR HONE K SAMAY ME HAMAY HATA DIYA GYAA
Paramedical ke LT ka bhee regulation hoga kya sir
Mai umesh kumar vidyarthi assistant ramjaipal college chapra. Dainik/sambida/autso. 1999 se kary (regular work). Saran. (Bihar)